बौद्ध धर्म की वास्तविकता
महात्मा बुद्ध एक पुण्य कर्मी आत्मा थे महात्मा बुद्ध ने
कोई गुरु नहीं बनाया था सही मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण बुद्ध ने शास्त्र विरुद्ध तपस्या की अपने अनुभव का प्रचार करना शुरू कर दिया जबकि उनका ज्ञान किसी भी धर्मशास्त्र से नहीं मिलता जिससे व्यर्थ हैं उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता के विरुद्ध साधना हठयोग तप व्रत किए जिसे गीता में मूर्खों की साधना बताया
गीता अध्याय 16 श्लोक 23,24 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उन्हें न तो सिद्धि प्राप्त होती है ना कोई सुख प्राप्त होता है ना ही उनकी परम गति होती है
तत्व दर्शी संत की शरण में जाने से ही संपूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान और पूर्ण परमात्मा और मोक्ष मार्ग की जानकारी होती हैं
गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में
गीता ज्ञान दाता अर्जुन को उस परमात्मा की शरण में जाने को कह रहा है जिसकी शरण में जाने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होगी।लेकिन महात्मा बुद्ध को आध्यात्मिक ज्ञान नही होने के कारण उन्होंने मान लिया की भगवान नही है।
बुद्ध की क्रियाओं पर चलते चलते बहुत से देश जैसे चीन जापान नास्तिक हो गए लेकिन जहां उनका जन्म हुआ भारत देश को नास्तिक नही बना सके।
आखिर कौन है वह परमात्मा जिससे आस्तिकता बनी रही।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी संत है जिनकी शरण में जाने से सभी कष्टों से छुटकारा सभी असाध्य बीमारियों से छुटकारा और पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति होगी जहाँ जाने के बाद साधक दुबारा लौटकर नहीं आते हैं अर्थात जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता हैं।
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