Holy scripture

Wednesday, May 13, 2020

Wrong devotion and atheism (गलत भक्ति और नास्तिकता)


गलत भक्ति से तात्पर्य है जिस भक्तिविधि का हमारे सदग्रंथो में कोई प्रमाण नही हो। वह भक्ति गलत मानी जाती हैं। सही भक्ति नही मिलने के कारण हमें परमात्मा से मिलने वाले लाभ नही मिल पाते हैं।और हमारी ईश्वर में आस्था कम हो जाती हैं। अंत में धीरे धीरे हम नास्तिक हो जाते हैं और वही महात्मा बुद्ध के साथ हुुआ। 

 नास्तिकता क्या है जो जगत की सृष्टि करने वाले व इसका संचालन और नियंत्रण करने वाले ईश्वर के अस्तित्व का सर्व मान्य प्रमाण न होने के कारण स्वीकार नहीं करते हैं

।तत्व दर्शी संंत नही मिलने के कारण है हम ईश्वर के अस्तित्व को नही पहचान सके। जबकि हमारे सद् ग्रन्थ प्रमाण देते हैं की ईश्वर है उसका अस्तित्व हैैं
सच्चे गुरु क्या पहचान है
पूरे विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज ही एक मात्र ऐसे संत हैं जो शास्त्रों के आधार पर ज्ञान समझा रहे हैं और शास्त्रानुकूल भक्ति करवा रहे है। जिससे परमात्मा से मिलने वाला लाभ मिल रहा है। और करोड़ों लोग सच्चे भगवान की सतभक्ति करके सुखी जीवन जी रहे है। साथ ही पूर्ण मोक्ष का भक्ति मार्ग मिला। जो मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य है। 
सभी सद् ग्रंथ प्रमाण देेतेे हैै कि कबीर साहेब ही पूूर्ण परमात्मा है सृष्टि के रचनहार है पूूर्ण मोक्ष दायक है

No comments:

Post a Comment

आओ जैन धर्म को जाने

आओ जैन धर्म को जाने ऋषभदेव जी राजा नाभिराज के पुत्र थे। नाभिराज जी अयोध्या के राजा थे। ऋषभदेव जी के सौ पुत्र तथा एक पुत्री थी। एक दिन...